सोमवार, 21 मार्च 2011

सीबीआई आरटीआई से बाहर होना चाहती है


सीबीआई ने कार्मिक विभाग से अपील की है कि उसे आरटीआई के दायरे से बाहर कर दिया जाये। इसके पीछे सीबीआई का तर्क है कि आरटीआई के तहत ऐसे आवेदनों की संख्या तेजी से बढ़ी है जिसमें लोग बन्द चुके या कोर्ट में चार्जसीट दाखील हो चुके मामलों की फाईल नोटिंग मांग रहे हैं। इसके कारण सीबीआई की रोजमर्रा के काम पर प्रभाव पड रहा है। साथ ही सीबीआई एक मामला एक फाईल की नीति पर काम करती है। ऐसे में जांच अधिकारी किसी मामले में अपनी बात लिखने से बच रहे है जिससे जांच की निष्पक्षता प्रभावित होती है।
ऐसा नहीं है कि सीबीआई यह कोशिश पहली बार कर रही हो। आरटीआई क़ानून लागू होने के बाद से ही वह इससे बाहर होने की कोशिश कर रही है। सबसे पहले सीबीआई के पुर्व निदेशक अश्विनी कुमार ने सरकार को पत्रा लिखकर यह मामला उटाया था और अब उनके उत्तराधिकारी ए.पी.सिंहा ने कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर अपील की है कि उन्हें आरटीआई के दायर से बाहर किया जाये। सूत्रों के अनुसार कार्मिक विभाग ने सीबीआई निदेशक के इस अपील पर क़ानून मन्त्रालय से सलाह भी मांगी है।

8 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

उससे किसे फ़ायदा होगा?

Justice to common man ने कहा…

अमेरिका में फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्तिगेसन सूचना के अधिकार दायरे से बाहर नहीं है तो भारत में ऐसी आवश्यकता क्यों अनुभव की जा रही है |

Amit Sharma ने कहा…

आपने इस महत्वपूर्ण ब्लॉग को इस तरह बंद क्यों कर दिया है ??????

बेनामी ने कहा…

yes

सत्य नारायण उपाध्याय ने कहा…

सीबीआई सरकार से क्यों नहीं कहती कि उसे आजाद कर दिया जाए जो निष्पक्षता के लिये नितांत आवश्यक है

Unknown ने कहा…

IN GOD WE TRUST ENGLISH AND HINDI HIGHLY EDUCATION UPSC POTRAL EMPLOYEE POTRAL ,POTRAL IN THE WORLD ECONOMIC SECULAR 1976,BHARAT SITA KA SWAYAMBAR BHARAT IN GOD WE TRUST.English anchuchi jati Bharat

Nav Prakash ने कहा…

If the subject matter is related with individual life and liberty ,human rights and corruption.Cbi is also responsible to give information to applicant in above subject.

Unknown ने कहा…

नहीं होना चाहिए यह गलत है