गुरुवार, 23 सितंबर 2010

माननीयों का इलाज

हरियाणा स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों को सुबिधाओ  से सुसज्जित करने के चाहे लाख दावे करता हो लेकिन जब बात अपने या अपनों पर आती है तो सरकार को भी निजी अस्पतालों में ही जिन्दगी दिखाई देती है। सरकारी खर्चे  पर अपना व अपने परिवार का इलाज करवाने वाले विधायको  में आधे   से अधिक  अब भी निजी अस्पतालों को ही तवज्जो दे रहे हैं। सीधे  शब्दों में कहें तो वे सरकारी अस्पतालो को अपने उपचार के लायक नहीं समझ रहे हैं। या यूं कहिए प्रदेश की बागडोर हाथ में रखने वाले  विधायको , मुख्य संसदीय सचिवों तक को सरकारी डाक्टरों के अमले पर विश्वास नहीं है।

प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग पर प्रदेश के जनप्रतिनिधियों  की सच्चाई बयान करने वाली यह कहानी बयान कर रहे हैं स्वयं हरियाणा विधानसभा  के अधीक्षक  दरअसल इस बारे में हैल्थ टूडे ने सूचना का अधिकार  कानून के तहत हरियाणा विधानसभा  से सूचना मांगी थी कि प्रदेश के वर्तमान विधायक मंत्रियो , अन्य जनप्रतिनिधियों व उनके परिवार ने उपचार के नाम पर सरकार खर्चे से कितनी राशि खर्चे  की और किस अस्पताल से उन्होंने उपचार करवाया। इसके जवाब में विधानसभा  के अधीक्षक  ने प्रदेश के दो मुख्य संसदीय सचिव सहित कुल 13 विधायको  द्वारा क्लेम किए गए कुल 16 मेडिकल बिलों की जानकारी दी।विधायको  ने 16 मेडिकल बिलों के जरिए चार लाख, 21 हजार, ३९१ रुपये  की राशि सरकारी खजाने से निकलवाई।
चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि छह विधायको  ने सरकारी अस्पताल से उपचार करवाया जबकि सात विधायको  ने अपने व अपनों का उपचार करने कि लिए चार लाख, 911 रुपये  का भुगतान किया जबकि सरकारी अस्पतालों को छह विधायको  ने मात्रा 20 हजार, 480 रुपये का ही भुगतान किया।
चौंकाने वाली बात यह भी  सामने आई कि जुलाना के विधायको  परमिन्दर सिंह ढुल ने जींद  के सरकारी अस्पताल से इलाज और करवाया 688 रुपये  के उपचार का बिल भी विधानसभा से कैश करवा लिया। सबसे ज्यादा बिल या महंगे उपचार की बात करें तो इस मामले में इनेलो छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नलवा के विधायक  व पूर्व  मंत्री  संपत सिंह का नाम है। इन्होंने गुड़गांव के मेदान्ता अस्पताल से अपना उपचार करवाया और एक लाख, 77 हजार, 977 रुपये का मेडिकल बिल विधानसभा  से कैश करवाया।

किसने किसका करवाया उपचारचण्डीगढ: विधानसभा  से सरकारी खर्चे  पर विधायक अशोक कश्यप ने अपने पिता का, मुख्य संसदीय सचिव अनीता यादव ने अपने पुत्र  का, जलेब खान ने अपना व पत्नी  का, नरेन्द्र सिंह ने अपनी पत्नी व पुत्री  का जबकि कुलदीप शर्मा ने अपनी पत्नी का उपचार करवाया है। इनके अलावा विधानसभा  स्पीकर एचएम चट्ठा, इनेलो के अजय सिंह चौटाला, परमिन्दर सिंह ढूल, संपत सिंह, धर्मपाल लोहरू, अनिल विज, बहादुर सिंह ने सरकारी खर्चे पर अपना ही उपचार करवाया है।

इन्होंने चुना सरकारी अस्पतालहिसार: अपना व अपनों का उपचार करवाने के लिए विधानसभा  स्पीकर एचएस चढ़ा व अजय सिंह चौटाला ने एमएलए हास्टल की डिस्पेंसरी से जबकि परमिन्दर सिंह ढूल ने जींद  के सरकारी अस्पताल से और अनिल विज ने अंबाला के सरकारी अस्पताल से उपचार करवाया। इसी प्रकार नरेन्द्र सिंह ने नारनौल के सरकारी अस्पताल से तो कुलदीप शर्मा ने करनाल के सरकारी अस्पताल से अपना उपचार करवाया।

इनको  नहीं रहा सरकारी अस्पताल का भरोसा
हिसार: प्राइवेट अस्पताल से उपचार करवाने वालों या यूं कहिए कि सरकारी स्वास्थ्य ढांचे से नाखुश विधायको  की बात करें तो इनमें मुख्य संसदीय सचिव अनीता यादव, जबेल खान, विधायक अशोक कश्यप, रघुबीर  सिंह, संपत सिंह व बहादुर  सिंह के नाम शामिल हैं। अशोक कश्यप व अनीता यादव को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल पर भरोसा है तो रघुबीर  सिंह कां गुड़गांव के आर्यन अस्पताल पर और जबेल खान को दिल्ली के आपोलो अस्पताल पर भरोसा है। इसी प्रकार संपत सिंह को गुड़गांव के मेदान्ता अस्पताल पर और बहादुर  सिंह को जयपुर के खंडाका अस्पताल पर भरोसा है।

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