सोमवार, 2 मार्च 2009

बंद होने की कगार पर सूचना आयुक्त कार्यालय

महाराष्ट्र में सूचना आयुक्तों के बीच मतभेदों का खामियाजा अब सूचना मांगने वालों को उठाना पडे़गा। फंड की कमी के चलते महाराष्ट्र सूचना आयोग के नागपुर और औरंगाबाद सूचना आयुक्त कार्यालय बंद होने की कगार पर हैं। फंड उपलब्ध न होने की वजह से महीनों से कार्यालय के टेलीफोन, स्टेशनरी, बिजली और यात्रा का बिल नहीं चुकाया गया है। नागपुर के सूचना आयुक्त विलास पाटिल, औरंगाबाद के विजय भोरगे और पुणे के विजय कुलवेकर ने खुलेआम राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त सुरेश जोशी पर फंड उपलब्ध न कराने और कानून के विरुद्ध काम करने के आरोप लगा चुके हैं।
गौरतलब है कि सुरेश जोशी की कार्यप्रणाली की वजह से अन्य सूचना आयुक्त उनसे खासे नाराज हैं और माना जा रहा है कि इसी वजह से मुख्य सूचना आयुक्त अन्य बैंचों को फंड उपलब्ध कराने में हीलाहवाली कर रहे हैं। सुरेश जोशी को लिखे एक पत्र में विलास पाटिल ने कम्प्यूटरों की मरम्मत, पोस्टेज स्टांप, वाहन भत्ते, टेलीफोन बिल्स और पिछले तीन महीने के अखबार का बिल चुकता करने के लिए 2 लाख रुपये की मांग की है। इसके अलावा पाटिल ने फर्नीचर, बिजली के उपकरण आदि के लिए 7.5 लाख रुपये तुरंत उपलब्ध कराने की मांग भी की है।
औरंगाबाद के सूचना आयुक्त विजय भोरगे ने भी सुरेश जोशी को लिखे पत्र में कहा है कि उनका कार्यालय बिना बिलों के भुगतान के चल रहा है। हम अपनी जेब से अब कार्यालय का सामान नहीं खरीद सकते। यदि ऐसा ही होता रहा तो शीघ्र ही कार्यालय बंद करना पडे़गा।
पुणे के सूचना आयुक्त विजय कुवलेकर ने भी लिखित शिकायत में कहा है कि उनकी अगस्त 2008 में चार टाइपिस्टों की मांग का प्रस्ताव अब तक मुख्य सूचना आयुक्त के यहां लंबित है। जून 2008 से पुणे बैंच को वाहन और टेलीफोन भत्ते भी नहीं दिए गए हैं। उनका कहना है कि जिला स्तर पर होने वाली विशेष सुनवाइयों में उन्होंने अपनी जेब से खर्च किया है। मुख्य सूचना आयुक्त से फंड ने मिलने पर मजबूरन विशेष सुनवाइयां रोककर वे अपने कार्यालय में ही सुनवाइयां करने लगे हैं।
सूचना आयुक्तों के अलावा राज्य के आरटीआई कार्यकताओं ने भी सुरेश जोशी खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। गाँधी वादी विचारक अन्ना हजारे तो उनकी शिकायत मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति से भी कर चुके हैं।

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