सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

शैलेष गाँधी ने एक महीने में 500 मामले निपटाए

सूचना आयोग के पद पर नियुक्त होने के बाद शैलेष गाँधी ने केन्द्रीय सूचना आयोग में लंबित मामलों को सबसे बड़ी चुनौती बताया था और उसे कम करने को अपनी पहली प्राथमिकता। शैलेष गाँधी इस चुनौती पर कितने खरे उतरे हैं यह दिसंबर महीने में उनके द्वारा निपटाए गए 508 मामलों को देखकर पता चलता है। अक्टूबर-नंवबर माह में गाँधी ने 333 अपील और शिकायतों का निपटारा किया था।
नियुक्ति के वक्त शैलेष गाँधी पर 1650 लंबित अपील और शिकायतों का भार था। यह भी गौर करने की बात है कि शैलेष गाँधी के पर्याप्त स्टॉफ भी नहीं था। उन्होंने अपने कार्यालय में चार लोगों की नियुक्ति की और उन्हें वेतन भी स्वयं ही दिया। शुरूआत में वे स्वयं दिए गए आदेशों को टाइप करते थे। दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम, मानव संसाधन विकास मंत्रालय सहित उन्हें 11 विभाग और मंत्रालय मिले थे। इन तमाम दिक्कतों के बावजूद शैलेष गाँधी ने तेजी से काम किया उनके पास पडे़ लंबित मामलों की संख्या काफी कम कर दी।
शैलेश गाँधी की कार्यप्रणाली अन्य सूचना आयुक्तों के लिए एक मिसाल है जो अक्सर लंबित मामलों का रोना रोते रहते हैं और अपील और शिकायतों का शीघ्रता से निपटारे के लिए कोई कदम नहीं उठाते। महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग में इस वक्त 15 हजार 2 सौ लंबित मामले हैं और सूचना आयुक्त महीने में औसतन 100 से 150 मामलों का ही निपटारा करते हैं। गाँधी ने अपना अगला लक्ष्य अप्रैल तक 90 दिनों से कम लंबित रहने का रखा है।

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