शुक्रवार, 8 अगस्त 2008

सूचना के अधिकार में संशोधन के सुझाव का विरोध

बंगलुरू में सूचना के अधिकार पर आयोजित एक कार्यक्रम में चर्चा उस समय गरमा गई जब उच्च न्यायालय के जज के भक्तवत्सल ने कानून में संशोधन की बात की। उन्होंने जैसे ही कहा कि सूचना के अधिकार का इस्तेमाल गलत इरादों से किया जा रहा है, वहां आए आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया। कार्यकर्ताओं ने इसके बाद न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार पर नारे लगाने शुरू कर दिए। उन्होंने कार्यक्रम को सूचना के अधिकार को नुकसान पहुंचाने वाला बताया। कार्यकर्ताओं का मानना है कि कानून मे संशोधन की बात कह जनता को इस कानून के इस्तेमाल से दूर करने की साजिश रची जा रही है।
जस्टिस भक्तवत्सल की हां में हां मिलाते हुए शिक्षा मंत्री विश्वैश्वर हेगडे कजेरी ने भी सूचना के अधिकार में संशोधन की बात की। उन्होंने संशोधन के लिए जोर देकर कहा कि बहुत से लोग कानून का दुरूपयोग करते हैं, इसलिए सरकार को सूचना प्राप्त करने की उनकी मंशा जाननी चाहिए।
इस मौके पर मुख्य राज्य सूचना आयुक्त के के मिश्रा ने कहा कि मामला सूचना आयोग में आने के बाद करीब एक साल में उस पर सुनवाई हो पाती है, जिससे कानून की प्रभावशीलता पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस प्रक्रिया में तेजी लाने के प्रयास करने चाहिए। सरकार द्वारा सहायता प्राप्त कारेपोरेट सोसाइटी और सिविक बॉडीज को भी उन्होंने कानून अधीन लाने पर जोर दिया।
वे सब कर्नाटक स्टेट चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएसन और कर्नाटक स्टेट सेकेन्डरी टीचर्स एसोसिएसन द्वारा आयोजित की गई `आरटीआई ट्रेंड अहेड- ए डिस्कशन´ कार्यक्रम के मौके पर बोल रहे थे। कार्यक्रम में आए आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सूचना के अधिकार के प्रति अधिकारिओं के रवैये और कार्यक्रम के उद्देश्य की तीखी आलोचना की।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

soochna ke adhikaar ko aur adhik vyapak banana chahiye, yeh soochna mat dijiye ki kitne hawai jahaj kahan hain, kitne atom bomb hain, lekin ib ne kitna paisa kharch kiya, raw ne kya kiya, hamare adhikari ek din me kitna kaam karte hain, unki suvidhaon par kitna kharch hota, baaki har ek jaankari ko soochna ke adhikar me laayen