गुरुवार, 17 जुलाई 2008

आवेदक को मिले 10 हजार का हर्जाना

केन्द्रीय सूचना आयोग का एक आदेश देशभर में आरटीआई इस्तेमाल करने वालों के खुशी लेकर आया है। खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें नई दिल्ली में केन्द्रीय सूचना आयोग की सुनवाई में आने के लिए बड़ी मात्रा में यात्रा और होटल आदि खर्चे वहन करने पड़ते हैं। आयोग ने अपने निर्णय में भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड अर्थात सेबी को आदेश दिया है कि वह मुंबई के एक आरटीआई आवेदक को हर्जाने के रूप में 10 हजार रूपये दे। मुंबई निवासी आवेदक योगेश मेहता को पिछले साल केन्द्रीय सूचना आयोग की पांच सुनवाईयों में मुंबई से दिल्ली आने के लिए बाध्य किया गया था।
योगेश मेहता पिछले दो सालों से सेबी से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज डिफाल्टर कमेटी की कस्टडी से गायब हुए शेयरों की जानकारी हासिल करने के लिए संघर्षरत थे। सेबी के अधिकारियों ने जब उन्हें जानकारी दी कि उनका मामला विचाराधीन है तो उन्हें थोड़ी सफलता मिलते दिखी। तत्पश्चात उन्होंने सीआईसी से अपनी अपील वापस लेने की अपील की और आयोग से सेबी के खिलाफ उनकी अपील पर विचार करने को कहा। सेबी के लोक सूचना अधिकारी द्वारा 58 दिनों के बाद आवेदक को जो सूचनाएं उपलब्ध कराईं गईं वह अपूर्ण थीं। सेबी ने सूचना देने में देरी के लिए तर्क दिया कि यह सूचनाएं उसके पास नहीं थीं और इन्हें बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से हासिल किया गया है।
सूचना आयुक्त ए एन तिवारी ने सूचना देने के देरी के लिए सेबी के लोक सूचना अधिकारी पर जुर्माना तो नहीं लगाया लेकिन उन्होंने कानून की धारा 19 के तहत आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 10 हजार रूपये देने के आदेश जरूर दे दिए।

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